Monday, February 16, 2009

वैलेंटाइन

वैलेंटाइन के इस मौके पे
हमने सबको याद किया
हर्ष ने रुचिका को न जाने
क्या उपहार दिया
ये उनका पहला वैलेंटाइन
शादी से पहले आया
फूलो के उपहार से जिसको
हर्ष ने है महकाया
रुचिका भी फूली न समायी
उसने हर्ष को प्यार दिया
पहले इस वैलेंटाइन को
दोनों ने अपने ह्रदय पर छाप लिया

ये कविता मैंने अपने मित्र हर्ष के लिए लिखी है उसकी शादी १८ फ़रवरी २००९ को है
ये कविता मेरी तरफ़ से उसे शादी का उपहार है

1 comment:

  1. good rhyming but doesn't help at all...your thoughts make who u are...Is that how u wanna be perceived ????????????

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