आज इंसान मे इंसानियत कहाँ
हर कोई लड़ रहा है अपने लिए
ख़ुद ही जीने की कोशिश मे
कर रहा अपना हनन
अनजान बन के खो रहा
अपने जीने का चलन
ऐ इंसान ख़ुद से ऊपर उठ
इंसानियत को दे जनम
पायेगा जो तू चाहेगा
होगा दुखो से फिर तेरा अंत
Sunday, April 5, 2009
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