Saturday, February 21, 2009

सच्ची ज़िन्दगी


जिंदगी को समझना आसान नही

जिसने समझ लिया वो उतर गया पार

ज़िन्दगी आसान होती तो हर कोई मुस्कुराता

हर गली हर कूंचे मे खुशियों को पाता

आएगा इक दिन ऐसा ज़रूर

जब इंसान का दामन भरा होगा

खुशियों से भरपूर

उस दिन होगी अपने देश के खुशहाली

हर तरफ़ मनाई जायेगी रोज़ दीवाली

Wednesday, February 18, 2009

एकवचन और बहुवचन

एकवचन और बहुवचन की बात करते है लोग
एकवचन और बहुवचन का अर्थ तो बतलाओ
उसकी व्याख्या खुल कर तो समझाओ
माँगते है राय हमारी
कुछ न कहे तो
चुप ही रहे तो
कहते है तुम बेअक्ल हो
दिमाग नही है
क्या सोचते हो
एकवचन और बहुवचन की इस दौड़ मे
क्या समझे और क्या समझाए
बस अंत मे यही सोचकर चुप है
एकवचन और बहुवचन की
इस उलझन मे हम तो गुम है

रुसवाई

हमने तेरा साथ माँगा

तूने हमें जुदाई दी

चाहने वालो को यू रुसवा न कर

चाहने वाले चले गए तो

फिर किसे अपना कहोगे

Monday, February 16, 2009

वैलेंटाइन

वैलेंटाइन के इस मौके पे
हमने सबको याद किया
हर्ष ने रुचिका को न जाने
क्या उपहार दिया
ये उनका पहला वैलेंटाइन
शादी से पहले आया
फूलो के उपहार से जिसको
हर्ष ने है महकाया
रुचिका भी फूली न समायी
उसने हर्ष को प्यार दिया
पहले इस वैलेंटाइन को
दोनों ने अपने ह्रदय पर छाप लिया

ये कविता मैंने अपने मित्र हर्ष के लिए लिखी है उसकी शादी १८ फ़रवरी २००९ को है
ये कविता मेरी तरफ़ से उसे शादी का उपहार है

यादे

वो पल याद आते है
तेरे साथ बिताये
हर लम्हे याद आते है
वो लड़ना , वो झगड़ना
वो बात बात पर अड़ना
वो प्यार वो तकरार
दोनों मे वो खींच तान
रूठना और मनाना
रोना और रुलाना
हँसना और हँसाना
वो हाथ पकड़कर चलना
ये सुब वो धुन्द्ली यादे है
जिनका अब कोई अर्थ नही

चाह

जो हमने चाहा
वो हमने पाया है
कभी सुना न किसी का और
न सुनाया है
राज़ अपने दिल का
अपनों से ही छुपाया है
कुछ खोया है तो
बहुत कुछ पाया है
हमने अपनों से
वफ़ा को निभाया है
प्यार हमने इतना
अपनों से ही तो पाया है
दिल का रिश्ता निभाना
अपनों ने ही तो सिखाया है

जीने की राह

दुनिया मे हर तरह के लोग होते है
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे होते है
बुरो की बुराई को न अपनाओ
अच्छो की अच्छाई को अपना लो
फिर देखो हर तरफ़ खुशियाँ मिलेंगी
हर तरफ़ बहार ही बहार खिलेगी
काँटो को न देखो
देखो तुम फूलो को
चोट अगर लग भी जाए
तो उससे भी कुछ सीखो
डाली से टूटकर भी फूल महक देता है
मरकर भी दूसरो को जीने का संदेश देता है

Tuesday, February 10, 2009

कुछ और

खोकर पाने का मज़ा
कुछ और ही है
ज़िन्दगी जीने का मज़ा
कुछ और ही है
हर लुत्फ़ उठाओ ज़िन्दगी का
ज़िन्दगी को समझने का अंदाज़
कुछ और ही है
गम को भुलाकर
खुशी मे झूमने का फल्सफा
कुछ और ही है

दोस्ती

इक दोस्त का दूसरे दोस्त से ये वादा है
हमे ये वादा हर हाल मे निभाना है
रिश्ता ये दोस्ती का
समझना और समझाना है
सबको खुश रखना
ख़ुद हँसना और
सबको हँसाना है
गम से दूर ही रहना और
सदा मुस्कुराना है
फूल सा महकना और
महकाना है
रिश्ता ये दोस्ती का हर हाल मे निभाना है

मझधार

तुम्हे समझा था औरो से अलग

तुम भी औरो जैसे निकले

जीने की राह बताकर

बीच मझदार मे छोड़ गए

हम समझ ही न पाए

ये क्या हुआ

क्यो हुआ

बिन कहे तुम चले गए

खता तो बताते मेरी

राह दिखाई थी तो

मंजिल तक तो पहुँचाते

Sunday, February 8, 2009

दोस्त

इक दोस्त जो मैंने पाया था
उसने बहुत सिखाया था
क्यू वो चुप हो गया
न कोई ख़बर न पता
क्या खता हो गई मुझसे ऐसी
रूठ गया वो मुझसे ऐसे
उसके बिन मै कुछ भी नही
वो नही तो कुछ भी नही

Saturday, February 7, 2009

फ़रिश्ता

आज सुबह जब आँख खुली
देखा एक फ़रिश्ते को
देख उसे मन हर्षाया
दिल ने हिचकोला भी खाया
सोचा न था
कि सुबह इतनी हसीं होगी
मेरी ज़िन्दगी
उस फ़रिश्ते की होगी
हँसी का वरदान दिया ऐसा
मिले तिनके को सहारा जैसा
ऐ फ़रिश्ते तू सबको वरदान दे
सबकी ज़िन्दगी में तू
खुशियाँ ही खुशियाँ भर दे

मौत

ऐ रब कभी तो धरती पर उतर
देख दुनिया कैसे जीती है
हम तो मरते रहे ज़िन्दगी को
दुनिया तो मौत को तरसती है
आ जरा धरती पर
संभाल अपनी दुनिया को
या मौत दे दे सभी को
या खुशियों से भर दे दुनिया को
कुछ तो कर , कुछ तो सोच
वरना दुनिया कहेगी
रब क्या होता है
खुदाई कुछ नही होती
गम ही गम है दुनिया मे
ज़िन्दगी कुछ नही होती

Friday, February 6, 2009

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी पाने के चाह मे

ज़िन्दगी को खो दिया

हँसने की बहुत कोशिश की

हँसे तो दिल मे दर्द लिए

आँख से आँसू न टपके तो क्या

दर्द मे हम तड़पे तो क्या

कोई अपना न बना

सब गैर ही रहे

अपना कोई पाने की चाह मे

हम यू ही ज़िन्दगी जीते गए

अंत आ गया ज़िन्दगी का

पर खुशी को तरसते रहे

ऐ मौत कुछ पल तो रुक

ज़िन्दगी आती होगी

हमे हँसाने को ज़िन्दगी कुछ तो लाती होगी

इसी चाह मे हम जलते रहे

अंत हो गया ज़िन्दगी का ही

हम हँसी को तरसते ही रहे

Thursday, February 5, 2009

प्यार

प्यार एक मीठा एहसास है
प्यार से प्यारा कुछ भी नही
प्यार जब होता है
उससे प्यारा लगता कुछ भी नही
हम भी सोचते थे
प्यार मिलेगा किसी का तो
पर रुब को न था मंजूर ऐसा
प्यार तो मिला नही
दुःख दर्द ने घेरा हमें
ऐ रुब ये भी तेरी भेट समझ
हम स्वीकार करते है
बस इतनी इल्तजा है
इसे सहने की ताकत दे हमें

दुनिया

चाँद ने चाँदनी पायी
खुशी से फुला न समाया
दिल ने रौशनी पायी
पर उसे सम्भाल न पाया
रब ने दुनिया बनायी
पर उसे ठीक से चला न पाया
सबने ज़िन्दगी पायी
पर उसे ठीक से निभा न पाये
ऐ रब ये ज़िन्दगी क्यो दी तूने हमें
जिसे कोई भी ठीक से जी न पाया
उठा ले इस दुनिया से अब तो
फिर हम भी कह सकेंगे गर्व से
की हमने भी मरकर दुनिया के
झंझटो से सकूँ पाया