Sunday, April 5, 2009
इंसानियत
हर कोई लड़ रहा है अपने लिए
ख़ुद ही जीने की कोशिश मे
कर रहा अपना हनन
अनजान बन के खो रहा
अपने जीने का चलन
ऐ इंसान ख़ुद से ऊपर उठ
इंसानियत को दे जनम
पायेगा जो तू चाहेगा
होगा दुखो से फिर तेरा अंत
Saturday, February 21, 2009
सच्ची ज़िन्दगी
जिंदगी को समझना आसान नही
जिसने समझ लिया वो उतर गया पार
ज़िन्दगी आसान होती तो हर कोई मुस्कुराता
हर गली हर कूंचे मे खुशियों को पाता
आएगा इक दिन ऐसा ज़रूर
जब इंसान का दामन भरा होगा
खुशियों से भरपूर
उस दिन होगी अपने देश के खुशहाली
हर तरफ़ मनाई जायेगी रोज़ दीवाली
Wednesday, February 18, 2009
एकवचन और बहुवचन
एकवचन और बहुवचन का अर्थ तो बतलाओ
उसकी व्याख्या खुल कर तो समझाओ
माँगते है राय हमारी
कुछ न कहे तो
चुप ही रहे तो
कहते है तुम बेअक्ल हो
दिमाग नही है
क्या सोचते हो
एकवचन और बहुवचन की इस दौड़ मे
क्या समझे और क्या समझाए
बस अंत मे यही सोचकर चुप है
एकवचन और बहुवचन की
इस उलझन मे हम तो गुम है
रुसवाई
हमने तेरा साथ माँगा
तूने हमें जुदाई दी
चाहने वालो को यू रुसवा न कर
चाहने वाले चले गए तो
फिर किसे अपना कहोगे
Monday, February 16, 2009
वैलेंटाइन
हमने सबको याद किया
हर्ष ने रुचिका को न जाने
क्या उपहार दिया
ये उनका पहला वैलेंटाइन
शादी से पहले आया
फूलो के उपहार से जिसको
हर्ष ने है महकाया
रुचिका भी फूली न समायी
उसने हर्ष को प्यार दिया
पहले इस वैलेंटाइन को
दोनों ने अपने ह्रदय पर छाप लिया
ये कविता मैंने अपने मित्र हर्ष के लिए लिखी है उसकी शादी १८ फ़रवरी २००९ को है
ये कविता मेरी तरफ़ से उसे शादी का उपहार है
यादे
तेरे साथ बिताये
हर लम्हे याद आते है
वो लड़ना , वो झगड़ना
वो बात बात पर अड़ना
वो प्यार वो तकरार
दोनों मे वो खींच तान
रूठना और मनाना
रोना और रुलाना
हँसना और हँसाना
वो हाथ पकड़कर चलना
ये सुब वो धुन्द्ली यादे है
जिनका अब कोई अर्थ नही
चाह
वो हमने पाया है
कभी सुना न किसी का और
न सुनाया है
राज़ अपने दिल का
अपनों से ही छुपाया है
कुछ खोया है तो
बहुत कुछ पाया है
हमने अपनों से
वफ़ा को निभाया है
प्यार हमने इतना
अपनों से ही तो पाया है
दिल का रिश्ता निभाना
अपनों ने ही तो सिखाया है
जीने की राह
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे होते है
बुरो की बुराई को न अपनाओ
अच्छो की अच्छाई को अपना लो
फिर देखो हर तरफ़ खुशियाँ मिलेंगी
हर तरफ़ बहार ही बहार खिलेगी
काँटो को न देखो
देखो तुम फूलो को
चोट अगर लग भी जाए
तो उससे भी कुछ सीखो
डाली से टूटकर भी फूल महक देता है
मरकर भी दूसरो को जीने का संदेश देता है
Tuesday, February 10, 2009
कुछ और
कुछ और ही है
ज़िन्दगी जीने का मज़ा
कुछ और ही है
हर लुत्फ़ उठाओ ज़िन्दगी का
ज़िन्दगी को समझने का अंदाज़
कुछ और ही है
गम को भुलाकर
खुशी मे झूमने का फल्सफा
कुछ और ही है
दोस्ती
हमे ये वादा हर हाल मे निभाना है
रिश्ता ये दोस्ती का
समझना और समझाना है
सबको खुश रखना
ख़ुद हँसना और
सबको हँसाना है
गम से दूर ही रहना और
सदा मुस्कुराना है
फूल सा महकना और
महकाना है
रिश्ता ये दोस्ती का हर हाल मे निभाना है
मझधार
तुम्हे समझा था औरो से अलग
तुम भी औरो जैसे निकले
जीने की राह बताकर
बीच मझदार मे छोड़ गए
हम समझ ही न पाए
ये क्या हुआ
क्यो हुआ
बिन कहे तुम चले गए
खता तो बताते मेरी
राह दिखाई थी तो
मंजिल तक तो पहुँचाते
Sunday, February 8, 2009
दोस्त
उसने बहुत सिखाया था
क्यू वो चुप हो गया
न कोई ख़बर न पता
क्या खता हो गई मुझसे ऐसी
रूठ गया वो मुझसे ऐसे
उसके बिन मै कुछ भी नही
वो नही तो कुछ भी नही
Saturday, February 7, 2009
फ़रिश्ता
देखा एक फ़रिश्ते को
देख उसे मन हर्षाया
दिल ने हिचकोला भी खाया
सोचा न था
कि सुबह इतनी हसीं होगी
मेरी ज़िन्दगी
उस फ़रिश्ते की होगी
हँसी का वरदान दिया ऐसा
मिले तिनके को सहारा जैसा
ऐ फ़रिश्ते तू सबको वरदान दे
सबकी ज़िन्दगी में तू
खुशियाँ ही खुशियाँ भर दे
मौत
देख दुनिया कैसे जीती है
हम तो मरते रहे ज़िन्दगी को
दुनिया तो मौत को तरसती है
आ जरा धरती पर
संभाल अपनी दुनिया को
या मौत दे दे सभी को
या खुशियों से भर दे दुनिया को
कुछ तो कर , कुछ तो सोच
वरना दुनिया कहेगी
रब क्या होता है
खुदाई कुछ नही होती
गम ही गम है दुनिया मे
ज़िन्दगी कुछ नही होती
Friday, February 6, 2009
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी पाने के चाह मे
ज़िन्दगी को खो दिया
हँसने की बहुत कोशिश की
हँसे तो दिल मे दर्द लिए
आँख से आँसू न टपके तो क्या
दर्द मे हम तड़पे तो क्या
कोई अपना न बना
सब गैर ही रहे
अपना कोई पाने की चाह मे
हम यू ही ज़िन्दगी जीते गए
अंत आ गया ज़िन्दगी का
पर खुशी को तरसते रहे
ऐ मौत कुछ पल तो रुक
ज़िन्दगी आती होगी
हमे हँसाने को ज़िन्दगी कुछ तो लाती होगी
इसी चाह मे हम जलते रहे
अंत हो गया ज़िन्दगी का ही
हम हँसी को तरसते ही रहे
Thursday, February 5, 2009
प्यार
प्यार से प्यारा कुछ भी नही
प्यार जब होता है
उससे प्यारा लगता कुछ भी नही
हम भी सोचते थे
प्यार मिलेगा किसी का तो
पर रुब को न था मंजूर ऐसा
प्यार तो मिला नही
दुःख दर्द ने घेरा हमें
ऐ रुब ये भी तेरी भेट समझ
हम स्वीकार करते है
बस इतनी इल्तजा है
इसे सहने की ताकत दे हमें
दुनिया
खुशी से फुला न समाया
दिल ने रौशनी पायी
पर उसे सम्भाल न पाया
रब ने दुनिया बनायी
पर उसे ठीक से चला न पाया
सबने ज़िन्दगी पायी
पर उसे ठीक से निभा न पाये
ऐ रब ये ज़िन्दगी क्यो दी तूने हमें
जिसे कोई भी ठीक से जी न पाया
उठा ले इस दुनिया से अब तो
फिर हम भी कह सकेंगे गर्व से
की हमने भी मरकर दुनिया के
झंझटो से सकूँ पाया
Saturday, January 31, 2009
कर्म
तो हे मनुष्य तू कर्म कर,तू कर्म कर
राह अगर मुश्किल हो तेरी
डगर अगर भरी हो कांटो से तेरी
तू केवल कर्म कर,तू कर्म कर
तू फल की चिंता छोड़ दे
अपनी मुश्किलें उसपर छोड़ दे
डगर मुश्किल सही फिर
निकल जायेगा तू इस भंवर से
भूल भी सुधर जायेगी इस मंजिल पे
डर ना तू कभी किसी पे
हार कर ना बैठ यूं ज़िन्दगी से
कर्म की गति बड़ी ही न्यारी है
उसका फैसला हमेशा तेरा सहाई है
ज़िन्दगी का चक्र कभी रुकता नहीं
हे मनुष्य तू कर्म कर,तू कर्म कर
ये ब्लॉग मेरे प्रिये मित्र रोनेय फर्नांडिस के कारण ही बनाना सम्भव हो पाया है
इस ब्लॉग को बनाने मे उसने मेरी बहुत मदद की है मै सदा उसकी आभारी रहूँगी मै दिल से उसका शुक्रिया अदा करती हूँ कि उसने मुझे इस काबिल समझा