Saturday, November 5, 2011

ज़िन्दगी
कौन कहता है ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी है ?
इसे जीकर देखो तो जानो ये क्या है
जीते है वही जो जिंदा दिल हैं
हर मुसीबत हर परेशानी को भुलाकर जो जीए
wahi तो असली ज़िन्दगी है




Saturday, October 2, 2010

आज किसी को खोया
या खोकर पाया
आते हुआ मुकाम को
दूर जाते पाया
हम न समझ पाए
कि खोकर पाया
या पाकर खोया
जिस रह पे चल दिए
उसे अकेला ही पाया
तनहा कटेगा सफ़र
हमने दिल को ये समझाया
भूल कर सभी को
चल पड़े jis डगर पे
बढ़कर तनहा ही
हमने manzil ko पाया


आईना जो देखा
तो अपना ही अक्स पाया
इक बिखरी हुई ज़िन्दगी के सिवा
कुछ न नज़र आया
ज़िन्दगी का अजीब है चलन
जीते है सभी
ख़ुशी की तलाश मे
पाते है गमो को
हसी के लिबास मे

Friday, October 1, 2010

अरमानो को सकू की तलाश है
भटकी हुई ज़िन्दगी को
मंजिल की तलाश है
रूह से जो निकले
उस हसी की तलाश है
वर्ना क्या रखा इस ज़िन्दगी मे अब
मौत ही इस दिल के ज़ख्मो का इलाज है
यादो के घेरे घिर घिर आये
आकर हमें कुछ यू तडपाये
अपने ही अन्दर कुछ टूटा जाये
सिमट कर ज़िन्दगी कुछ इस तरह रह जाए
टूटे दिल को कोई आकर समझाए
गलती करे कोई और सजा कोई पाए

Sunday, April 5, 2009

इंसानियत

आज इंसान मे इंसानियत कहाँ
हर कोई लड़ रहा है अपने लिए
ख़ुद ही जीने की कोशिश मे
कर रहा अपना हनन
अनजान बन के खो रहा
अपने जीने का चलन
ऐ इंसान ख़ुद से ऊपर उठ
इंसानियत को दे जनम
पायेगा जो तू चाहेगा
होगा दुखो से फिर तेरा अंत