Saturday, October 2, 2010

आज किसी को खोया
या खोकर पाया
आते हुआ मुकाम को
दूर जाते पाया
हम न समझ पाए
कि खोकर पाया
या पाकर खोया
जिस रह पे चल दिए
उसे अकेला ही पाया
तनहा कटेगा सफ़र
हमने दिल को ये समझाया
भूल कर सभी को
चल पड़े jis डगर पे
बढ़कर तनहा ही
हमने manzil ko पाया


1 comment: