Friday, February 6, 2009

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी पाने के चाह मे

ज़िन्दगी को खो दिया

हँसने की बहुत कोशिश की

हँसे तो दिल मे दर्द लिए

आँख से आँसू न टपके तो क्या

दर्द मे हम तड़पे तो क्या

कोई अपना न बना

सब गैर ही रहे

अपना कोई पाने की चाह मे

हम यू ही ज़िन्दगी जीते गए

अंत आ गया ज़िन्दगी का

पर खुशी को तरसते रहे

ऐ मौत कुछ पल तो रुक

ज़िन्दगी आती होगी

हमे हँसाने को ज़िन्दगी कुछ तो लाती होगी

इसी चाह मे हम जलते रहे

अंत हो गया ज़िन्दगी का ही

हम हँसी को तरसते ही रहे

7 comments:

  1. Just a selfish poem...nothing else ! try to show the deepness of thoughts...your own thoughts...

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  2. बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  3. prayas achchha hai, likhana jari rakhiye.

    ---------------------------------"VISHAL"

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  4. sunder se is blog ke liye badhai swikar kare.blog ki is swanim duniya me apka swagat hai.

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  5. सुंदर रचना
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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  6. A poem is meaningless if it lacks a good message,no matter how beautifully it is written.... I think you can see now what you have written...

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