Tuesday, February 10, 2009

कुछ और

खोकर पाने का मज़ा
कुछ और ही है
ज़िन्दगी जीने का मज़ा
कुछ और ही है
हर लुत्फ़ उठाओ ज़िन्दगी का
ज़िन्दगी को समझने का अंदाज़
कुछ और ही है
गम को भुलाकर
खुशी मे झूमने का फल्सफा
कुछ और ही है

1 comment:

  1. क्या लिखूं इसके बारे में कुछ समझ नहीं आता...खैर एक दी तुम बहुत अच्छा लिखोगी ! best poetry लिखने का जो मंत्र मैंने तुम्हे बताया था उसे तुम follow क्यों नहीं करती ?

    ReplyDelete