sakshi
तुम्हे समझा था औरो से अलग
तुम भी औरो जैसे निकले
जीने की राह बताकर
बीच मझदार मे छोड़ गए
हम समझ ही न पाए
ये क्या हुआ
क्यो हुआ
बिन कहे तुम चले गए
खता तो बताते मेरी
राह दिखाई थी तो
मंजिल तक तो पहुँचाते
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